दिल्ली एन सी आर कैसे हो प्रदूषण से मुक्त?

नोएडा


नवंबर का महीना आते आते दिल्ली एनसीआर में रहने वाले लोगों का प्रदूषण के चलते जीना दूभर हो जाता है नवंबर से पहले भी दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण का स्तर काफी ऊंचा रहता है दिल्ली के पास नोएडा शहर में चल रहे निर्माण कार्यों व प्राधिकरणों की कार्यप्रणाली के चलते भी नोएडा में प्रदूषण हमेशा बना रहता है नोएडा में जो निर्माण कार्य चल रहे हैं उन साइटों से निकलने वाली गाड़ियों के टायरों में जो मिट्टी लगकर आती है वो गाड़ियां उस मिट्टी को सड़क पर छोड़ती चली जाती है सड़क पर मिट्टी रहने व गाड़ियों के आने जाने के चलते सड़क पर पड़ी मिट्टी धूल बनकर हमेशा उड़ती रहती है और ना तो प्राधिकरण के सफाई कर्मचारी ही उस मिट्टी को साफ करते हैं और ना ही बिल्डर जिसकी उन सड़कों के पास ही साइट चल रही है । नवंबर का महीना आते-आते प्रदूषण  खतरनाक स्तर पर पहुंच जाता है। कहावत है करेला वो भी नीम चढ़ा दिल्ली एनसीआर के प्रदूषण पर सटीक बैठ जाती है पंजाब हरियाणा में जलने वाली पराली जिसे हमारे यहां पर मूजी की पूली भी कहते हैं इस प्रदूषण में 30 से 40% की वृद्धि कर देती है मूजी पहले भी किसान बोते थे और आज भी बो रहे हैं पहले किसान खेत में पराली जलाते नहीं थे लेकिन आज जला रहे  है पराली जलाने की स्थिति कहां से आई  जब तक हम इसकी जड में नहीं जाएंगे तब तक इसका समाधान नहीं कर पाएंगे पहले खेत में खड़ी हुई मूजी को मजदूर लोग जड़ से काटते थे लेकिन आज मूंजी मशीनों से कट रही है जिसके चलते खेत में 6 इंच से लेकर एक 1 फुट तक के ढूंढ खड़े रह जाते हैं जिसके चलते किसान अगली फसल के लिए अपने खेत की तैयारी नहीं कर पाता और उसको मजबूरी में खेत में आग लगानी पड़ती है मशीनों के आने से पहले किसानों को मजदूर बड़ी आसानी से मिल जाते थे लेकिन आज सरकार की मनरेगा योजना के चलते खेत में काम करने वाले मजदूर नहीं मिल पा रहे हैंअगर सरकार को पराली जलाने के चलते दिल्ली में होने वाले प्रदूषण पर रोक लगानी है तो इसकी जड़ मे जाकर मुख्य समस्या को खोज कर खत्म करना होगा तभी हम दिल्ली एनसीआर के प्रदूषण में 30 से 40% की वृद्धि करने वाली पराली से निजात पा सकते हैं