वन बेल्ट प्रोजेक्ट पर भारत का विरोध नहीं चाहता चीन, इसलिए मसूद के मुद्दे पर उसने पाक का साथ छोड़ा


आतंकी मसूद अजहर के मुद्दे पर चीन आखिरकार भारत की बात मान गया। उसने चार बार भारत की राह में रोड़े अटकाए थे। वह जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित नहीं होने दे रहा था। लेकिन भारत की कूटनीतिक कोशिशें कामयाब हुईं और चीन ने अपनी आपत्तियां हटा लीं। दैनिक भास्कर प्लस ऐप ने विदेश मामलों के जानकार रहीस सिंह, चीन मामलों की एक्सपर्ट और स्कॉलर नम्रता हसीजा और भारतीय विदेश सेवा के पूर्व अफसर सलमान हैदर से बातचीत कर जाना कि चीन आखिर कैसे पाकिस्तान का साथ छोड़ने को राजी हो गया।


अमेरिका ने जिस प्रोजेक्ट को एनाकोंडा बताया, उस पर भारत का विरोध नहीं चाहता चीन
विदेश मामलों के जानकार रहीस सिंह बताते हैं कि चीन ने हाल ही में कहा था कि वह मसूद के मुद्दे पर भारत के साथ नेगोशिएट करना चाहता है। इस मसले पर भारत का साथ देने के पीछे चीन की यह मंशा हो सकती है कि भारत उसके बेल्ट रोड इनीशिएटिव (बीआरआई प्रोजेक्ट) का विरोध न करे। चीन के बीआरआई प्रोजेक्ट को अमेरिका ने एनाकोंडा बताया था, जबकि यूरोपियन यूनियन भी इसका विरोध करता रहा है। भारत भी इस प्रोजेक्ट का शुरू से विरोध कर रहा है। हो सकता है कि चीन यह चाहता हो कि भारत अब कम से कम बीआरआई प्रोजेक्ट का विरोध न करे।


वे बताते हैं कि पाक को अब मसूद पर प्रतिबंध लगाना होगा और उसकी गतिविधियों को बंद करना होगा। अगर पाक ऐसा नहीं करता है तो उसे ब्लैक लिस्ट में डाल दिया जाएगा। फिलहाल पाक ग्रे लिस्ट में है। पाक के आर्थिक हालात बहुत खराब हैं। उसका चालू खाता घाटा इतना है कि वह आगे व्यापार करने की स्थिति में नहीं है। इसलिए पाक को आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करनी ही होगी।


भारत ने मुद्दा नहीं छोड़ा, एयरस्ट्राइक का भी असर पड़ा
चीन मामलों की जानकार और स्कॉलर नम्रता हसीजा मसूद कहती हैं कि चीन हर बार मसूद के मुद्दे पर रोड़े अटकाता रहा, लेकिन इस बार भारत ने मुद्दे को नहीं छोड़ा और कामयाब भी हुआ। इसके पीछे भारत के अलावा अमेरिका, फ्रांस और यूके का बहुत बड़ा हाथ है, क्योंकि तीनों ने संयुक्त राष्ट्र में प्रस्ताव दिया था। पुलवामा हमले के बाद चीन पर काफी दबाव बढ़ा था कि वह आतंकवाद पर दोहरा रवैया नहीं अपना सकता। चीन का पाक में ज्यादातर निवेश पाक के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में है। पुलवामा हमले के बाद भारत ने जिस तरह से एयरस्ट्राइक की, इसका असर भी हुआ। क्योंकि भारत-पाक के बीच तनाव बढ़ने से चीन को भी खतरा है और उसके जो प्रोजेक्ट पीओके में चल रहे हैं, उन पर असर पड़ सकता है।